Shiva Stotram Lyrics in Hindi - शिव तांडव स्तोत्र बहुत ही लाभकारी और प्रभावशाली जप है। जो भी शिव जी के इस स्तोत्र को सच्चे मन् से जपता है उसके ऊपर शिव जी का आशीर्वाद तथा कृपा हमेशा बनी रहती है |
रावण जो की लंका का राजा था, वे शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे। रावण एक बहुत बड़ा पंडित तथा तपस्वी था जिसने कई बार अपनी तपस्या के माध्यम से शिव जी से कई वरदान प्राप्त किए है | क्या आप जानते है की शिव तांडव की रचना किसने की है |
हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से शिव तांडव स्तोत्रम के बारे में पूरा वर्णन करेंगे | शिव तांडव की रचना करने वाला कोई और नहीं बल्कि लंकापति रावण थे |
आप ये तो जान गए कि शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण ने की थी लेकिन क्या आप ये जानते है की इसकी रचना क्यों हुई थी तथा किस कारण हुई थी | रावण में कई वरदान तथा शक्तियाँ विद्यमान थी, जिसके कारण उसके भीतर अहंकार पैदा हो गया था |
एक समय की बात है, रावण ने शिव जी को अपनी शक्तिओ का प्रदर्शन दिखाने के लिए कैलाश पर्वत को अपनी भुजाओं से उठा लिए था | रावण शयद यह भूल गये थे कि जिसको वह अपनी शक्तिओ का प्रदर्शन दिखा रहा है वे देवों के देव महादेव है |
रावण के अहंकार तथा भ्रम को नष्ट करने के लिए शिव जी ने अपनी शक्तिओ से कैलाश पर्वत के भार को कई गुना बढ़ा दिया | पर्वत का भार बढ़ने के कारण रावण की भुजाये कमजोर पड़ने लगी, तथा अन्त में रावण अपने प्रदर्शन में असमर्थ हो गया |
इस प्रकार रावण को अपनी गलती तथा भ्रम का आभास हुआ | गलती का आभास होने के अंतर्गत रावण ने उसी क्षण शिव तांडव स्तोत्र की रचना करी तथा शिव जी को सुनाई |
शिव जी रावण द्वारा बनाए गए तांडव स्तोत्र से बहुत प्रसन्न हुए तथा रावण को उनकी इच्छा के अनुसार वरदान भी दिया |
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आइए अब हम एक साथ शिव तांडव स्तोत्र (shiv tandav stotram in hindi) का हिंदी में जाप करें।
इस आलेख में :
1. Read Shiva Stotram Lyrics in Hindi | हिंदी में पढ़ें शिव तांडव स्तोत्रम के बोल
2. Download Shiva Stotram Lyrics Image in Hindi | शिव तांडव स्तोत्रम के बोल की छवि डाउनलोड करें
3. Download Shiva Stotram PDF in Hindi | हिंदी में डाउनलोड करें शिव तांडव स्तोत्रम की पीडीएफ
4. Watch video of Shiva Stotram Lyrics in Hindi | हिंदी में देखें शिव तांडव स्तोत्रम की वीडियो
5. FAQ |अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल
Read Shiva Stotram Lyrics in Hindi | हिंदी में पढ़ें शिव तांडव स्तोत्रम के बोल :
|| शिव तांडव स्तोत्रम ||
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥
धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे॥4॥
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम् ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम्॥13॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥
॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्॥
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Download Shiva Stotram PDF in Hindi | हिंदी में डाउनलोड करें शिव तांडव स्तोत्रम की पीडीएफ :
FAQ | अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
1). शिव तांडव की रचना किसने की थी ?
उत्तर : शिव तांडव की रचना लंकापति रावण ने थी
2). शिव तांडव क्यों करते हैं?
उत्तर : शिव जी ताण्डव दो प्रकार का करते है |
(i). क्रोधित ताण्डव - जब शिव जी बहुत ज़्यादा क्रोधित होते है तब वे क्रोधित तांडव करते है | इस तांडव के अंतर्गत शिव जी अपनी तीसरी आँख खोल लेते है | इनके सामने यदि कोई भी जीव, जंतु, वस्तु आदि सामने आती है तो वे इन्हें भस्म कर देते है |
(ii). आनन्दित तांडव - जब शिव जी आनंद में होते है तब वे आनंदित तांडव करते है | आनन्दित ताण्डव शिव जी अपने डमरू के साथ करते है |
3). यह तांडव क्या है ?
उत्तर : शिव तांडव भगवान शिव द्वारा किया जाने वाला एक प्रकार का नृत्य है। इसमें हर्षित और क्रोधित तांडव शामिल है।
4). तांडव और लास्य में क्या अंतर है ?
उत्तर : तांडव और लास्य नृत्य हैं। जो मुख्य रूप से देवताओं द्वारा किया जाता है। यदि देवी नृत्य करे तो वह लास्य कहलाता है, अगर यदि देवता नृत्य करे तो वह ताण्डव कहलाता है |
5). तांडव कितने प्रकार के होते हैं ?
- शिव तांडव
- कृष्णा ताण्डव
- गोरी ताण्डव
- उमा ताण्डव
- कालिका ताण्डव
- त्रिपुरा तांडव
- समरा तांडव
- संध्या तांडव
- आनंद तांडव
6). रावण ने भगवान शिव को कैसे प्रसन्न किया ?
उत्तर : शिव जी को प्रसन्न करने के लिए रावण ने रुद्राष्टक की रचना कर डाली | रुद्राष्टक के जाप से रावण ने शिव जी को प्रसन्न कर दिआ तथा शिव जी ने रावण को मनचाहा वरदान दिया |
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